Friday, January 6, 2012

मर्द को शक्तिशाली बनाता है आयुर्वेद Impotency

हम अपने पूर्वजों की महान विरासत की रक्षा ढंग से नहीं कर पा रहे हैं। हम तब जागते हैं जबकि दूसरा हमारी चीज़ों पर अपना क़ब्ज़ा जमा चुका होता है। हमारी कई जड़ी बूटियों को पश्चिमी वैज्ञानिक अपने नाम से पेटेंट करा चुके हैं। ताज़ा ख़बर के मुताबिक़ ब्रिटेन की नज़र हमारे अदरक और कुटकी पर है। उसने इनके ज़रिये नज़ले ज़ुकाम का इलाज ढूंढने का दावा किया है। यह लम्हा हमारे लिए आत्मविश्लेषण का है।
अभिमान वास्तव में ही बहुत बुरा होता है। ज्ञान का हो तो और भी ज़्यादा बुरा होता है। इन लोगों से भी बढ़कर नुक्सान देने वाले वे तत्व होते हैं जो कि अपने इतिहास और अपनी परंपराओं को जानने के बावजूद भी भुला देना चाहते हैं। ऐसे लोगों के कारण ही आज प्राचीन पूर्वजों के बहुत से कारनामे भुला दिए गए हैं।
मांस में प्रोटीन होता है और यह मनुष्य के लिए उपयोगी है। इस तथ्य को आज विज्ञान भली भांति स्वीकार रहा है। इसकी खोज हमारे पूर्वज उनसे बहुत पहले कर चुके हैं। आयुर्वेद के चरक और सुश्रुत जैसे महान ग्रंथों में वह अपनी खोज को दर्ज कर चुके हैं और यह सिद्ध है कि इन ग्रंथों की रचना उन्होंने वैदिक धर्म का पालन करते हुए ही की है।
आज बल-पौरूष की कमी दुनिया के सामने एक बड़ी समस्या बनी हुई है। दुनिया वियाग्रा जैसी दवाओं का सहारा लेने पर मजबूर है। इन दवाओं के साइड इफ़ेक्ट भी सामने आ रहे हैं। लोग खा रहे हैं और मर रहे हैं।
हमारे महान भारतीय मनीषियों ने इस समस्या का निदान भी आयुर्वेद के ज़रिये किया है। उनके बताए नुस्ख़े का इस्तेमाल करने के बाद एक मर्द 100 औरतों को चरम सुख की प्राप्ति करा सकता है। आनंद का रहस्य हमारे पूर्वज अच्छी तरह जानते थे और उन्होंने उसे हमारे लिए सुलभ भी कराया है। 
जो इस रहस्य को जानते हैं वे आज भी लाभ उठा रहे हैं। आप भी उठाइये।
हमारे एक दोस्त हरिद्वार के पास ही रहते हैं। हरिद्वार में मांस नहीं बिकता लेकिन ज्वालापुर में बिकता है। वहां एक क़साई से हमारे दोस्त ने पूछा कि आपका काम यहां कैसा चलता है ?
उसने कहा कि सुबह को दो बकरे काटता हूं और शाम को पांच।
सुबह के बकरे मुसलमान ले जाते हैं और शाम के बकरे आश्रमों में चले जाते हैं।हो सब कुछ रहा है लेकिन सत्य को स्वीकारने की हिम्मत कम ही लोगों में है। इसी कम हिम्मती की वजह से हमारी विरासत विदेशियों के हाथ में जा रही है।
आयुर्वेद के शक्तिदायक नुस्ख़ों से जो लोग लाभ उठाना चाहते हैं, उनके लिए एक ब्लॉग से ये नुस्ख़े साभार उद्धृत कर रहे हैं।  

सुश्रुत संहिता में बकरे के अंडकोषों से 100 पुरूष की शक्ति प्राप्ति

आयुर्वेद की मशहर पुस्‍तक सुश्रुत संहिता में जानवरों तथा इन्‍सान के वीर्य का विधान भी मिलता है, 
दूध से निकाले घी में पिप्‍पली और लवण के साथ बकरे के अंडकोकोषों को अंड सिद्ध करके जो पुरूष खाता है वह एक सौ स्त्रियों से रमण कर सकता है



पिप्‍प्‍लीलवणोपेते बसण्‍डे क्षीर्रस‍पिषि
साधिते भक्ष्‍येमद्यस्‍तु स गच्‍छेत् प्रमदाशतम
---- सुश्रुत संहिता, चिकित्‍सा स्‍थानम 26/20

अर्थात दूध से निकाले घी में पिप्‍पली और लवण के साथ बकरे के अंडकोकोषों  को अंड सिद्ध करके जो पुरूष खाता है वो एक सौ स्त्रियों से रमण कर सकता है

पिप्‍प्‍लीलवणोपेते बस्‍ताण्‍डे घृतसाधिते
शिशुमारस्‍य वा खदेत्ते तु वाजीकरे भृशम
कुलारकूर्मनक्राणाण्‍डान्‍येवं तु भक्षयेतृ
महिषर्षभबस्‍तानां पिबेच्‍दुकाणि वा नर-
---- सुश्रुत संहिता, चिकित्‍सा स्‍थानम 26/25-27
 अर्थात घी में तले हुए बकरे के या शिश्‍ुमार (उदबिलाव) नामक जंतु के अंडकोकोषों को पिप्‍पली और सैंधा नमक के साथ खाएं, ये अतिशय वा‍जीकर (सेक्‍स शक्ति बढाने वाले) हैं, केकडा, नक्र(घडिया) के अंडकोशों को भी इसी प्रका खाएं अथ्‍वा, भैंसे, बैल या बकरे के वीर्य को पीएं 

हाथी,चीते और सांप की खाल से तव्‍चा के रोग दूर किये जा सकते हैं, तो सांप की खाल से फुल बहरी, अस्थियों की राख से शर्करा नष्‍ट किया जा सकता है, जिन्‍दा मछली से अस्‍थमा का इलाज शायद यह किताब पढ कर ही किया जा रहा है .

हम क्यों घट रहे हैं और अंग्रेज़ क्यों बढ़ रहे हैं, इसका कारण भी खुली आंखों देखा जा सकता है। हमारे इस नुस्ख़े का लाभ भी विदेशी ही उठा रहे हैं।
जब हमने आयुर्वेद के इन नुस्ख़ों को तैयार करने के लिए नेट पर छानबीन की तो यह हिंदी साहित्य से कुछ ख़ास मदद नहीं मिल पाई जबकि अंग्रेज़ी साहित्य में इस पर इतनी सामग्री मिल गई कि छांटना मुश्किल हो गया। उसमें से हमने आपके लिए इसे चुना है ताकि आप आसानी से महान पौरूष पाकर अपना वैवाहिक जीवन सफल बना सकें।
जो लोग अण्डकोष पकाने से बचना चाहें, उनके लिए भी एक रास्ता है। यूनानी मेडिसिन में एक दवा का नाम है ‘जौहर ए ख़ुसिया‘। यह बकरे के अण्डकोषों का सत ही होता है। आप बाज़ार से इसे ख़रीदकर दूध और शहद के साथ इस्तेमाल करें। आपको वही लाभ मिलेगा, जो कि चरक और सुश्रुत में बताया गया है।
आजकल रैक्स कंपनी ( Rex (U&A) Remedies Pvt. Ltd.) इसे बना रही है।
अपने जीवन साथी को चरमसुख का अहसास कराइये और अपने जीवन को आनंद से भर लीजिए।
इस सर्दी में आप इसे आज़मा कर देखें।
The testicles are also referred to as testes; the singular is testis. Whenever I think about eating testicles I mostly dwell on the etymology. In Latin, the word testis means "witness"; supposedly, in ancient Rome it was the custom for men to place one hand on a testicle when taking an oath in court. Somewhere in my education, formal and otherwise, I'd never picked up on the difference between the testicles and the scrotal sac that encases them.

Ingredients

yield: 3 to 4
  • Grilled Lamb's Testicles

  • 1 pair lamb's testicles
  • Salt and pepper to taste
  • Lemon juice to garnish
  • Deep-Fried Testicles (Rocky Mountain Oysters)

  • 1 pair lamb's testicles
  • 1 cup panko crumbs
  • 1 egg, lightly beaten
  • 1 teaspoon mustard
  • Salt and pepper to taste
  • Lemon juice to garnish
  • 1 quart oil, for frying

Procedures

  1. 1

    Grilled Lamb's Testicles

  2. 2
    Set up your grill, preferably charcoal, so that there's room on the grill to cook the testicles indirectly.
  3. 3
    Salt and pepper the testicles and place them on the grill for 10 to 15 minutes, until the outside surface is nicely charred. The tissue may burst during the process.
  4. 4
    When they are done, remove the testicles from the grill and cut into slices 1/3-inch thick. Garnish with lemon juice and more salt and pepper to taste.
  5. 5

    Deep-Fried Testicles (Rocky Mountain Oysters)

  6. 6
    Cut the testicles int 1/3 inch slices, removing the membrane from each slice after it's cut. Set aside.
  7. 7
    Combine the egg with the mustard in a small bowl. Have the panko crumbs ready for dipping on the side.
  8. 8
    Heat the oil in a wok to 350°F.
  9. 9
    Dip each slice of testicles in the egg, then dip into the panko crumbs. Slip into the oil and fry from 1 to 2 minutes, until golden brown. Remove from the oil and place on a rack. Serve immediately, with lemon to garnish.
  10. 10
    Variation: For pan-fried testicles, place a heavy skillet over medium-high heat. Add approximately 3 tablespoons of oil to the pan. Coat the testicles in the egg and crumb coating and place into the pan. Pan-fry on one side for 2 minutes, taking care not to touch the disturb the coating on the testicle. Flip and pan-fry on the other side for 2 minutes. Serve immediately; garnish with lemon.

Thursday, January 5, 2012

उड़ीसा हो या जापान, मछली को शाकाहार में ही गिना जाता है Vegetarianism

सन 1998 में सैयद अब्दुल्लाह तारिक़ साहब ने रामपुर में एक संस्कृत संभाषण वर्ग का आयोजन किया था। उसमें आचार्य गजेंद्र कुमार पंडा जी तशरीफ़ लाए थे। वह तब तक 6 गोल्ड मेडल पा चुके थे और एक प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर थे। वेदांत में उन्होंने पी. एचडी. की थी। रामपुर में उनके रहने का इंतेज़ाम जमाअते इस्लामी के ज़िम्मेदार डा. इब्ने फ़रीद साहब के घर था और उनके खाने का इंतेज़ाम सैयद अब्दुल्लाह तारिक़ साहब के घर। उन्हें रामपुर आने से बहुत डराया गया था कि वहां जाओगे तो मुसलमान आपको मार देंगे लेकिन फिर भी वह आ गए थे।
हम उनसे मिलने रामपुर गए और फिर उनकी प्रतिभा देखी तो हमने भी उन्हें अपने शहर में बुलाया। उनके साथ रामपुर से सैयद अब्दुल्लाह तारिक़ साहब भी तशरीफ़ लाए थे। पहले दिन उनका हम सभी ने बड़ी गर्मजोशी से स्वागत किया।

यह फ़ोटो उसी पहले दिन का है। फ़ोटो के पीछे 2 जून 1998 लिखा है।
इस वर्ग का आयोजन हमने जैन इंटर कॉलिज में किया था लेकिन ताज्जुब की बात है कि सीखने वालों में हिंदू भाई केवल 3 थे। इसमें मुस्लिम लड़कियों ने भी बड़ी तादाद में हिस्सा लिया था और लड़कों में भी ज़्यादा मदरसे के तालिब इल्म थे। इन सबने ही आचार्य श्री पंडा जी को जो आदर सम्मान दिया, उससे पंडा जी बहुत अभिभूत हुए और हक़ीक़त यह है कि पंडा जी के रूप में हमने भी एक ऐसे इंसान को देखा जो बिल्कुल बच्चों की तरह मासूम है। ज्ञान, निश्छलता और सादगी से भरे पूरे आचार्य पंडा जी से मिलना अपने आप में एक आनंद देता है। ‘हास-परिहास‘ का सेंस भी उनमें ग़ज़ब का है।
हिंदी और अंग्रेज़ी में एक वचन और बहुवचन ही होता है जबकि संस्कृत में द्विवचन भी होता है।
उन्होंने अपने कोर्स को ऐसे डिज़ायन किया है कि उसमें से द्विवचन को हटा दिया है ताकि शुरू में सीखने वालों को आसानी हो सके। उनकी क्लास में हंसी के ठहाके छूटते रहते हैं और इसी तरह हंसी मज़ाक़ के दौरान मात्र 10 घंटों में ही वह आदमी को संस्कृत बोलने के लायक़ बना देते हैं। दसवें दिन वर्ग में सीखने वाले लड़के लड़कियों ने संस्कृत में भाषण देकर पूरे शहर को चौंका दिया था।
शहर भर के हिंदू मुस्लिम वर्ग का सहयोग इस कार्यक्रम को मिला और सभी को एक अच्छा संदेश मिला। 

रामपुर में उन्होंने बताया कि हमारे पिताजी शुद्ध नैष्ठिक ब्राह्मण हैं। अगर उन्हें पता चला कि हम मुसलमानों के घर खा पी कर आ रहे हैं तो वह हमें घर में घुसने ही नहीं देंगे।
उन्हें शुद्ध खाने में शाकाहारी भोज दिया गया।
दो दिन बाद वह बोले कि ‘मछली बनवाओ।‘
उनके भोजन का इंतेज़ाम सैयद साहब के घर पर था। उन्होंने उनके लिए मछली बनवाई, उन्होंने उसे खाया।
हम समझे कि वह मांसाहारी हैं। अगले दिन उनके लिए मुर्ग़ा बनवाया गया।
उसे देखकर उन्होंने खाने से इंकार कर दिया।
बोले हम मांस नहीं खाते।
उन्हें याद दिलाया गया कि कल आपने मछली खाई थी न।
बोले कि हां, लेकिन मछली को तो हम आलू की तरह मानते हैं।

भारत में भी अलग अलग इलाक़े के शाकाहारियों के भोजन का मेन्यू अलग अलग है।
भारत में ही नहीं विदेशों में भी ऐसा ही है। जापान में भी मछली को शाकाहारी भोजन में ही गिना जाता है।
ब्लॉगर रचना बैंकॉक गईं तो उन्होंने खाने के लिए वेज बर्गर मंगाया। मैक्डोनल्ड ने उन्हें बीफ़ बर्गर दिया। वहां गाय का मांस शाकाहार ही माना जाता है।
भारतीय संस्कृति की तरह ही विश्व संस्कृति भी बड़ी अद्भुत है।
यह जानना सचमुच एक अजीब बात है कि मांस उन लोगों के भोजन का भी हिस्सा है जो कि शाकाहारी हैं और शाकाहार की प्रेरणा देते हैं।
शाकाहार क्या है ?
लोग इस पर भी एकमत नहीं हैं।