सभी जानते हैं कि जो औज़ार कभी कभार इस्तेमाल किए जाते हैं उन्हें ज़ंग (Rust) लग जाता है और जो औज़ार नियमित रूप से और सही तरीक़े इस्तेमाल किए जाते हैं वे अपनी क्षमता को बनाए रखते हैं। मानव अंगों के बारे में भी यह बात सटीक बैठती है ।
अंगों को अपने काम अंजाम देने के लिए जो ऊर्जा चाहिए होती है वह उन्हें भोजन और पानी से मिलती है। इस रहस्य का पता भारत के वैद्य और हकीम बहुत पहले ही लगा चुके हैं और यही वजह है कि उन्होंने पथ्यापथ्य यानि भोजन में परहेज़ और चुनाव पर बहुत ज़ोर दिया। उन्होंने लोगों को अपने आहार में माँस , शहद , अंजीर , लहसुन , प्याज़ और अंडों का इस्तेमाल करने की सलाह दी और यह भी बताया कि दूसरे क्षेत्रों की तरह यहाँ भी अति वर्जित है। जो लोग इन चीजों के गुणों से अन्जान थे उन्होंने विभिन्न कारणों से इन चीज़ों के खाने पर प्रतिबंध लगा दिया और लोगों की यौन क्षमता को अपनी नादानी की वजह से कमजोर कर डाला जिससे उनका गृहस्थ जीवन बर्बाद होकर रह गया ।
वैद्य और हकीम भारतीय नर नारियों को जिन बीमारियों से मुक्ति दिलाते आए हैं , उनमें बाँझपन , शुक्राणुओं की कमी और ध्वजभंग ED भी हैं।
एक नौजवान हिंदू लड़का मेरे पास शुक्राणुओं की कमी की समस्या लेकर आया तो मैंने उसके वीर्य की जाँच रिपोर्ट देखी । रिपोर्ट के अनुसार शुक्राणु केवल 35 प्रतिशत थे। वह एक गरीब युवक था । सो जाहिर है कि मुनाफ़ाख़ोर ऐलोपैथ को उसमें कोई दिलचस्पी न थी और एक जगह से वह आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट भी ले चुका था। मैंने उसे मालिक का नाम लेकर 'शक्रवल्लभ रस और मूसली पाक' का सेवन कराया और 15 दिन के बाद जाँच रिपोर्ट में शुक्राणु 65 प्रतिशत हो चुके थे ।
क्या आप जानते हैं कि शक्रवल्लभ रस के घटक क्या है ?
आयुर्वेद सार संग्रह पृष्ठ 392 पर आप स्वर्ण भस्मादि अन्य सभी दवाओं की जानकारी हासिल कर सकते हैं ।
इन्हीं घटकों से हकीम साहब भी इन्हीं बीमारियों के लिए दवाएँ बनाते हैं। इस आयुर्वेदिक औषधि के बहुत सारा गुणगान करने के बाद अंत में लिखा है कि
'यह रसायन अत्यंत स्तंभक , बाजीकरण और स्त्रियों के मद को नष्ट करने वाला है।'
मैंने अपने अनुभव से पाया है कि ये सभी दावे सच हैं।
अंगों को अपने काम अंजाम देने के लिए जो ऊर्जा चाहिए होती है वह उन्हें भोजन और पानी से मिलती है। इस रहस्य का पता भारत के वैद्य और हकीम बहुत पहले ही लगा चुके हैं और यही वजह है कि उन्होंने पथ्यापथ्य यानि भोजन में परहेज़ और चुनाव पर बहुत ज़ोर दिया। उन्होंने लोगों को अपने आहार में माँस , शहद , अंजीर , लहसुन , प्याज़ और अंडों का इस्तेमाल करने की सलाह दी और यह भी बताया कि दूसरे क्षेत्रों की तरह यहाँ भी अति वर्जित है। जो लोग इन चीजों के गुणों से अन्जान थे उन्होंने विभिन्न कारणों से इन चीज़ों के खाने पर प्रतिबंध लगा दिया और लोगों की यौन क्षमता को अपनी नादानी की वजह से कमजोर कर डाला जिससे उनका गृहस्थ जीवन बर्बाद होकर रह गया ।
वैद्य और हकीम भारतीय नर नारियों को जिन बीमारियों से मुक्ति दिलाते आए हैं , उनमें बाँझपन , शुक्राणुओं की कमी और ध्वजभंग ED भी हैं।
एक नौजवान हिंदू लड़का मेरे पास शुक्राणुओं की कमी की समस्या लेकर आया तो मैंने उसके वीर्य की जाँच रिपोर्ट देखी । रिपोर्ट के अनुसार शुक्राणु केवल 35 प्रतिशत थे। वह एक गरीब युवक था । सो जाहिर है कि मुनाफ़ाख़ोर ऐलोपैथ को उसमें कोई दिलचस्पी न थी और एक जगह से वह आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट भी ले चुका था। मैंने उसे मालिक का नाम लेकर 'शक्रवल्लभ रस और मूसली पाक' का सेवन कराया और 15 दिन के बाद जाँच रिपोर्ट में शुक्राणु 65 प्रतिशत हो चुके थे ।
क्या आप जानते हैं कि शक्रवल्लभ रस के घटक क्या है ?
आयुर्वेद सार संग्रह पृष्ठ 392 पर आप स्वर्ण भस्मादि अन्य सभी दवाओं की जानकारी हासिल कर सकते हैं ।
इन्हीं घटकों से हकीम साहब भी इन्हीं बीमारियों के लिए दवाएँ बनाते हैं। इस आयुर्वेदिक औषधि के बहुत सारा गुणगान करने के बाद अंत में लिखा है कि
'यह रसायन अत्यंत स्तंभक , बाजीकरण और स्त्रियों के मद को नष्ट करने वाला है।'
मैंने अपने अनुभव से पाया है कि ये सभी दावे सच हैं।
"..माँस , ...., लहसुन , प्याज़ और अंडों का इस्तेमाल करने की सलाह दी ---"----असत्य है...
ReplyDelete--अनवर जी---भारतीय वैद्यों ने कभी मांसाहार, अन्डे, प्याज को भोजन के लिये तरज़ीह नहीं दी...
मेरी लड़ाई Corruption के खिलाफ है आपके साथ के बिना अधूरी है आप सभी मेरे ब्लॉग को follow करके और follow कराके मेरी मिम्मत बढ़ाये, और मेरा साथ दे ..
ReplyDeleteदिन मैं सूरज गायब हो सकता है
ReplyDeleteरोशनी नही
दिल टू सटकता है
दोस्ती नही
आप टिप्पणी करना भूल सकते हो
हम नही
हम से टॉस कोई भी जीत सकता है
पर मैच नही
चक दे इंडिया हम ही जीत गए
भारत के विश्व चैम्पियन बनने पर आप सबको ढेरों बधाइयाँ और आपको एवं आपके परिवार को हिंदी नया साल(नवसंवत्सर२०६८ )की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!
आपका स्वागत है
"गौ ह्त्या के चंद कारण और हमारे जीवन में भूमिका!"
और
121 करोड़ हिंदुस्तानियों का सपना पूरा हो गया
जी अनवर जी मै डॉ श्याम गुप्ता जी से बिल्कुल सहमत हूँ कि भारतीय वैद्यों ने कभी मांसाहार, अन्डे, प्याज को भोजन के लिये तरज़ीह नहीं दी...
ReplyDeleteबल्कि गाय के दूध को ज्यादा तरजीह दिया
@ डा. श्याम गुप्ता जी ! आप एक विद्वान आदमी हैं, इसके बाद भी आप सच का नकारते हैं तो यह केवल आपका हठ है। आपके हठ से सत्य और तथ्य बदल नहीं जाएंगे।
ReplyDeleteबैद्यनाथ द्वारा प्रकाशित ग्रंथ आयुर्वेद सार संग्रह हरेक वैद्य के पास आपको मिल जाएगा। इसके पृष्ठ संख्या 52 पर आप मांस-रस को शुक्रवद्र्धक औषधियों के अनुपान के रूप में मौजूद पाएंगे। शहद के बारे में तो आपको भी कोई संदेह नहीं है।
मांस प्राचीन आर्यों का एक सामान्य आहार था और आज भी है। आज का प्रचलन तो आपके सामने है ही और प्राचीन परंपराओं का वर्णन ग्रंथों में सुरक्षित है।
महाभारत में रंतिदेव नामक एक राजा का वर्णन मिलता है जो गोमांस परोसने के कारण यशवी बना.
महाभारत, वन पर्व (अ. 208 अथवा अ.199) में आता है
राज्ञो महानसे पूर्व रन्तिदेवस्य वै द्विज
द्वे सहस्रे तु वध्येते पशूनामन्वहं तदा
अहन्यहनि वध्येते द्वे सहस्रे गवां तथा
समांसं ददतो ह्रान्नं रन्तिदेवस्य नित्यशः
अतुला कीर्तिरभवन्नृप्स्य द्विजसत्तम ---- महाभारत, वनपर्व 208 199/8-10
अर्थात राजा रंतिदेव की रसोई के लिए दो हजार पशु काटे जाते थे. प्रतिदिन दो हजार गौएं काटी जाती थीं
मांस सहित अन्न का दान करने के कारण राजा रंतिदेव की अतुलनीय कीर्ति हुई.
इस वर्णन को पढ कर कोई भी व्यक्ति समझ सकता है कि गोमांस दान करने से यदि राजा रंतिदेव की कीर्ति फैली तो इस का अर्थ है कि तब गोवध सराहनीय कार्य था, न कि आज की तरह निंदनीय
महाभारत में गौ
गव्येन दत्तं श्राद्धे तु संवत्सरमिहोच्यते --अनुशासन पर्व, 88/5
अर्थात गौ के मांस से श्राद्ध करने पर पितरों की एक साल के लिए तृप्ति होती है
@ गव्येन दत्तं श्राद्धे तु संवत्सरमिहोच्यते --अनुशासन पर्व, 88/5
Deleteइस पंक्ति का सत्य अर्थ है………
श्राद्ध में गाय का 'दान'(दत्तं) देने से वर्षभर पितरों की तृप्ति का लाभ मिलता है।
उस पंक्ति में 'माँस'शब्द ही नहीं है। झूठ को शर्म नहीं होती और न उसका कोई ईमान होता है
@ निरामिष के नाम से लिखने वाले भाई सुज्ञ जी ! अनुशासन पर्व के इस श्लोक का अनुवाद डा. सुरेन्द्र कुमार शर्मा ‘अज्ञात‘ ने किया है और इसे उन्होंने अपनी पुस्तक ‘क्या बालू की भीत पर खड़ा है हिंदू धर्म ?‘ के पृष्ठ 135 पर दिया है। ‘प्राचीन भारत में गोहत्या एवं गोमांसाहार‘ शीर्षक के अंतर्गत उन्होंने कई दर्जन प्रमाण दिए हैं। यह उन्हीं में से एक है।
Deleteइसे लिखने से पूर्व उन्होंने आपस्तंब धर्म सूत्र का उद्धरण भी दिया था ताकि आप जैसा दुराग्रह कोई कर ही न पाए।
संवत्सरं गव्येन प्रीतिः, भूयांसमतो माहिषेण,
एतेन ग्राम्यारण्यानां पशूनां मांसं मेध्यं व्याख्यातम्.
खड्गोपस्तरणे खड्गमांसेनानन्त्यं कालम्.
तथा शतबलेर्मत्स्यस्य मांसेन वाध्रीणसस्य च.
-आ. धर्मसूत्र 2,7,16,25 व 2,7,17,3
श्राद्ध में गोमांस खिलाने से पितर एक वर्ष के लिए संतुष्ट हो जाते हैं। भैंस का मांस खिलाने से वे उस से भी ज़्यादा समय के लिए संतुष्ट होते हैं। यही नियम खरगोश आदि जंगली पशुओं और बकरी आदि ग्रामीण पशुओं के मांस के विषय में है। यदि गैंडे के चर्म पर ब्राह्मणों को बैठा कर गैंडे का ही मांस खिलाया जाए तो पितर अनंत काल के लिए संतुष्ट हो जाते हैं। यही बात ‘शतबलि‘ नामक मछली के मांस के विषय में है।
गव्येन दत्तं श्राद्धे तु संवत्सरमिहोचयते .
-अनुशासन पर्व , 88, 5
अर्थात गौ के मांस से श्राद्ध करने पर पितरों की एक साल के लिए तृप्ति होती है।
इस पुस्तक को आप एम 12, कनॉट सरकस, नई दिल्ली से मंगा सकते हैं। इस प्रकाशन का फ़ोन नं. है 011-41517890 और इसकी वेबसाइट है www.vishvbook.com
इस पुस्तक को मनोयोग से पढ़िए और देखिए कि प्राचीन भारत में वैदिक हिंदू कैसे , कब और कितना करते थे मांसाहार ?
माशाल्लाह अनवर भाई,
Deleteआदाब, अक्ल के अंधे लोग अपनी ही किताबो को झुटला देंगे.
@ दीप जी ! श्याम गुप्ता जी को दिए गए जवाब पर आप भी ध्यान देने की मेहरबानी करें।
ReplyDeleteहमारे हिन्दू समाज में १००% शाकाहारी होने का दावा किया है --और हमारे सिक्ख धर्म ने भी शाकाहार को ही महत्व दिया है --गो- मांस की बात बहुत दूर है --जिन राजाओं का वर्णन आपने किया है ,हो सकता है वो सही हो पर उन्हें इंसान नही 'राक्षस' की श्रेणी में गिना जाता है --आज स्वाद के कारण कई शाकाहारी लोग मांस खाते है --पर उससे बिमारीया ज्यादा हो रही है --फायदे कम --
ReplyDeleteमै आपकी बातो का समर्थन नही करती ?
Correct
DeleteI think this is everyone personal matter .they can eat what like .no one can change anyone .as a Hindu i prefer veg. food but who can i pressurise anyone to eat veg .
ReplyDeleteCorrect.
ReplyDeleteAssalamo alaikum sir yeh shakravallabh ras aur musli pak(शक्रवल्लभ रस और मूसली पाक)kaha milega.Sir mujhe v sperm count label badhani hai meri shadi char mahine pahle hui hai .mai behad dara hua hu samajh nahi aata behtar illaj kaha se ho.
ReplyDeletemusli pak tum baba ramdev ke patanjali ka le sakte ho best hai 260 rs ki maine bhi li hai musli pak aur badam pak
DeleteAssalamo alaikum sir meri shadi ko char mahine hue hai par mai pareshaan hu apne sperm count label kam hone ki wajah se sir aap bataiye ki ye Shakravallabh aur Musli Paak ('शक्रवल्लभ रस और मूसली पाक')kaha milega.Maine padha hai ki aapne kisiko iske seven se 15 dino me 65 percent ho gaye. Sir mujhe v help kijiye
ReplyDeleteभाई साहब यह आयुर्वेदिक दवायें देसी दवा बेचने वाली दुकान पर मिलेंगी.
ReplyDeleteआप इन्हें इस्तेमाल करें, इंशा अलाह आपको बहुत जल्दी और बहुत ज़्यादा फायदा होगा.
'शक्रवल्लभ रस और मूसली पाक') ki matra kaisi leni hai kirpa kar ke bataye? dhanyavad
ReplyDeleteशक्रवल्लभ रस और मूसली पाक' kis matra me lenahai kirpa karke bataye?
ReplyDeletedhanyavad
आप पहले इन्हें खरीद लें. इनके अंदर से निकले पर्चे पर सारी जानकारी लिखी हुई आपको मिल जायेगी.
DeleteAnwar sahab aap ek ratidev ko mante ho jiska naam kisi hindu ne nahi suna par aap shri ram , shri krrishna , maharshi dayanand , valmiki aur ved vyaas ko nahi mante jo khane ke liye mana karte hai aap to ek example de rahe ho mahabharat se main 100 se jyada example de sakta hu ki mas na khaye
ReplyDeleteEk ratidev raja ka example diya hai ki gau mans parosne ke karan uski kirti hu afsos ki 100% hinduo ne us ratidev raja ka naam kabhi nahi suna kaise kirti ho gayi patta nahi aur haan 1 ka exmaple dekara aap bata rahe hai main to 100 se adhik mahan logo ke naam bataunga aur sholka dunga jo gau mans kia kisi ka bhi mans kahne ko mana karte hai shri ram , shri krrishna , maharshi dayanand , manu maharaj , valmiki aur ved vyaas ji shankaracharya ji
ReplyDeletePPY Nagpur, भाई साहब ! हमें आपके हवालों का इंतज़ार करते हुए 7 महीने गुज़र गए लेकिन आपने अभी तक एक भी हवाला नहीं दिया है.
DeleteIt seems like Anwar ji is on ( Sheet Nidraa ).. Come on Man lets have a talk on this matter......
ReplyDeleteभाई देखो ऐसा है कि बैद्यनाथ वाले ने लिख दिया मतलब यह नहीं के वो सभी भारतीय वैद्यों का प्रतिनिधित्व करता है ये उसका अपना विचार है वो सभी वैद्यों का बहुमत नही है
ReplyDeleteऔर किसी महाभारत मे कोई राजा रंतिदेव नही है
तुम अपनी मर्जी से कोई भी किताब छाप के यहा पर उसका प्रचार कर दोगे तो वो कोई प्रमाणिक पुस्तक नही बन जायेगी
गोविन्दराम हासानन्द की दुकान
नई सङक, चांदनी चौक दिल्ली से विशुद्ध मनुस्मृति खरीद के पढ़ो
अगर उसमे लिखा हो तब कहना के पुराने भारत मे मांस खाया जाता था।
Sahi kaha Ajay Singh ne ...
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