Tuesday, June 21, 2011

स्किन को भी चाहिए स्पेशल फूड Special Food

झुर्रियों के प्राकृतिक उपाय

उम्र बढ़ने के अलावा सूरज की तेज रोशनी, प्रदूषण, धूम्रपान, तनाव, वजन कम होना और शरीर में विटामिन ई की कमी के कारण असमय ही त्वचा पर झुर्रियां पड़ने लगती हैं। आइए जानते हैं कुछ ऐसे उपाय, जो प्राकृतिक रूप से त्वचा को झुर्रियों से मुक्त कर सकती है।


अंडे की जर्दी: अंडे का सफेद हिस्सा चेहरे पर लगाने से झुर्रियों से निजात मिलती है। आंखों के नीचे और माथे की त्वचा पर मौजूद झाइयों से यह प्राकृतिक तरीके से मुक्ति दिलाता है। इसे गर्दन पर भी लगाना चाहिए। अंडे में भरपूर प्रोटीन, विटामिंस और मिनरल्स होते हैं।


पपीता: नहाने से पहले चेहरे और गर्दन पर पपीते का टुकड़ा रगड़ने से त्वचा कोमल होती है। इसमें मौजूद पापेन नामक तत्व त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाने और नई कोशिकाओं को विकसित करने में सहायक होता है।


केला: चेहरे व गर्दन पर केले का छोटा-सा टुकड़ा हफ्ते में एक बार रगड़ना चाहिए। यह विटामिंस से भरपूर होता है, जिससे त्वचा जवां दिखती है और झुर्रियों से सुरक्षित रहती है।


अनानास: इसे त्वचा पर लगाने से झुर्रियों से मुक्ति मिलती है, लेकिन रूखी त्वचा के लिए यह कारगर नहीं है। डिहाइड्रेट त्वचा कांतिहीन दिखती है, इसलिए भरपूर पानी पीना ही एक मात्र उपाय है।
जूस: फेस पैक तैयार करते समय उसमें पानी की बजाय नींबू, गाजर या ककड़ी का रस मिलाएं। यह तरीका अधिक फायदेमंद साबित होगा।


मसाज: जैतून, बादाम या नारियल के तेल से चेहरे की मसाज भी की जा सकती है। इसमें विटामिन ई होने से त्वचा का तेज बरकरार रहता है। वहीं मृत कोशिकाओं से मुक्ति भी मिलती है।


हल्दी: इसके पाउडर में गन्ने का रस मिलाकर तैयार पेस्ट लगाने से त्वचा में कसावट आती है। यह झुर्रियां दूर करने के साथ ही त्वचा निखारने में भी सहायक है। वहीं हल्दी की एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टी त्वचा विकारों को भी दूर करती है।

Saturday, June 11, 2011

क्या बुज़दिल बना देता है लौकी का जूस ? , होम्योपैथी में विश्वास रखने वाले ब्लॉगर्स भाइयों से एक विशेष चर्चा -Dr. Anwer Jamal

'जैसा खाय अन्न वैसा होय मन' , यह उक्ति मशहूर है । आयुर्वेद और यूनानी तिब के विशेषज्ञ भी मानते हैं कि खान पान हमारे शरीर के साथ हमारे मन को भी प्रभावित करता है । होम्योपैथी में मिर्च से कैप्सीकम (capsicum) नामक दवा बनती है और उसकी मेटीरिया मेडिका में उसके मानसिक लक्षण भी लिखे होते हैं कि मन पर मिर्च क्या प्रभाव डालती है ?
'ऊँचाई से छलाँग' लगाने वाले का प्रमुख आहार लौकी का जूस था । उनके मन के निर्माण में लौकी का महत्वपूर्ण योगदान है । यह सारा ज़माना जानता है । ऐसे में यह प्रश्न उठना नेचुरल है कि क्या लौकी का जूस आदमी को बुज़दिल बना देता है ?अगर यह सही है तो हरेक क्राँतिकारी और सुधारक को लौकी के अत्यधिक सेवन से बचना चाहिए और जो लोग किसी अन्य वजह से अपने अंदर बुज़दिली महसूस करते हैं । अगर वे लोग होम्योपैथिक तरीक़े से लौकी को पोटेन्टाइज़ करके दवा बनाएं और इसका सेवन करें तो उनकी     बीमारी दूर हो सकती है ।

होम्योपैथी में विश्वास रखने वाले ब्लॉगर्स इस ओर ध्यान दें तो चिकित्सा के मैदान में भी उपलब्धि की एक ऊँची छलाँग लग सकती है ।