Thursday, December 29, 2011

दही का सेवन कोलाईटीस रोगियों के लिए रामबाण आयुर्वेदिक दवा है

ऐसे खाएं दही तो इन बीमारियों का इलाज हो जाएगा अपने आप


ताजा दही सिर्फ टेस्टी ही नहीं होता बल्कि शरीर के लिए भी बहुत अधिक गुणकारी होता है। इसके विपरित खट्टा या पुराना दही शरीर को नुकसान पहुंचाता है।आज की भागदौड भरी जिंदगी में पेट की बीमारियों से परेशान होने वाले लोगों की संख्या सब से ज्यादा होती है। इस समस्या से परेशान लोग यदि अपनी डाइट में प्रचूर मात्रा में दही को शामिल करें तो अच्छा होगा। दही का नियमित सेवन करने से शरीर कई तरह की बीमारियों से मुक्त रहता है। दही में अच्छी किस्म के बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जो शरीर को कई तरह से लाभ पहुंचाते हैं। पेट में मिलने वाली आंतों में जब अच्छे किस्म के बैक्टीरिया का अभाव हो जाता है, तो भूख न लगने जैसी तमाम बीमारियां पैदा हो जाती हैं।

इस के अलावा बीमारी के दौरान या एंटीबायोटिक थेरैपी के दौरान भोजन में मौजूद विटामिन और खनिज हजम नहीं होते। इस स्थिति में दही सबसे अच्छा भोजन बन जाता है। यह इन तत्वों को हजम करने में मदद करता है।

इससे पेट में होने वाली बीमारियां अपने आप खत्म हो जाती हैं। दही खाने से पाचनक्रिया सही रहती है, जिससे खुलकर भूख लगती है और खाना सही तरह से पच भी जाता है। दही खाने से शरीर को अच्छी डाइट मिलती है, जिस से स्किन में एक अच्छा ग्लो रहता है। मुंह के छालों पर दिन में 2-4 बार दही लगाने से छाले जल्द ही ठीक हो जाते हैं। शरीर के ब्लड सिस्टम में इन्फेक्शन को कंट्रोल करने में वाइट ब्लड सेल्स का महत्त्त्वपूर्ण योगदान होता है। दही खाने से वाइट ब्लड सेल्स मजबूत होते हैं, जो शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। लेकिन इसक ा सेवन कब और किस तरह करके ज्यादा लाभ उठा सकते हैं आइए जानते हैं कब और किस तरह इसका सेवन करके आप ज्यादा लाभ उठा सकते हैं।

- दही हमेशा ताजी ही प्रयोग करनी चाहिए।

- रात्रि में दही के सेवन को हल्का काला नमक,शक्कर या शहद के साथ ही किया जाना चाहिए।

- मांसाहार के साथ दही के सेवन को विरुद्ध माना गया है।

- दही दस्त या अतिसार के रोगियों में मल को बांधनेवाली होती है,पर सामान्य अवस्था में अभिस्यंदी अर्थात कब्ज कर सकती है।

- ग्रीष्मऋतु में जब लू चल रही हो तब दही की लस्सी ऊर्जा प्रदान करनेवाली तथा शरीर में जलीयांश की कमी को दूर करती है।

- नित्य सेवन से दही का प्रभाव शरीर के लिए सात्म्य होकर गुणकारी हो जाता है।

- मधुमेह से पीडि़त रोगियों में दही का सेवन संयम से करना चाहिए, इससे फायदा होता है।

- दही का सेवन कुछ आयुर्वेदिक औषधियों में सह्पान के साथ कराने का भी विधान है, जिससे दवा का प्रभाव बढ़ जाता है।

- दही का सेवन कोलाईटीस रोगियों के लिए रामबाण आयुर्वेदिक दवा है।

- बच्चों में ताजी दही पेट सम्बंधी विकारों को दूर करती है।

- दही एवं कच्चे केले को पकाकर आंवयुक्त अतिसार (म्युकोइड स्टूल ) को रोका जा सकता है।

- जब खांसी,जुखाम,टांसिल्स एवं, सांस की तकलीफ हो तब दही का सेवन न करें तो अच्छा।

- दही सदैव ताजीर एवं शुद्ध घर में मिटटी के बर्तन की बनी हो तो अत्यंत गुणकारी होती है।

- त्वचा रोगों में दही का सेवन सावधानी पूर्वक चिकित्सक के निर्देशन में करना चाहिए।

- मात्रा से अधिक दही के सेवन से बचना चाहिए।

- अर्श (पाईल्स ) के रोगियों को भी दही का सेवन सावधानीपूर्वक करना चाहिए।तो ऐसी है दही ,बड़ी गुणकारी,रोगों में दवा पर सावधानी से करें प्रयोग।
Source : http://akhtarkhanakela.blogspot.com/2011/12/blog-post_6214.html

Tuesday, December 13, 2011

अमृत रसायन लहसुन के अचूक प्रयोग

बिना दवा कंट्रोल करें थुलथुली काया अपनाएं लहसुन का ये अचूक चटपटा प्रयोग


आयुर्वेद के अनुसार यह मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय जब चौदह रत्नों में से एक अमृत भी हासिल हुआ तो देवताओं व दानवों में विवाद हो गया। तब ब्रह्मा ने देवताओं और दानवों को अलग-अलग पंक्तियों में बैठाकर अमृत बांटना शुरू किया। उस समय राहु नामक राक्षस ने देवताओं की पंक्ति में रूप बदलकर बैठ गया और अमृतपान कर लिया।
लेकिन जब देवताओं को पता चला कि वह राक्षस है तो विष्णु जी ने उसकी गर्दन काट दी लेकिन अमृत उसके हलक में पहुंच चूका था। इस घटना के दौरान दानव द्वारा पीए अमृत की कुछ बूंदे धरती पर बिखर गई उन्हीं बूंदों से धरती पर जिस पौधे की उत्पति हुई। वह लहसुन का पौधा था। इसलिए कहा जाता है कि लहसुन एक अमृत रसायन है। लेकिन चूंकी माना जाता है कि इसका प्रयोग करने वाले मनुष्य के दांत, मांस व नाखून बाल, व रंग क्षीण नहीं होते हैं। यह पेट के कीड़े मारता है व खांसी दूर करता है। लहसुन चिकना, गरम, तीखा, कटु, भारी, कब्ज को तोडऩे वाला व आंखों के रोग दूर करने वाला माना गया है। अगर आप थुलथुले मोटापे से परेशान हैं तो अपनाएं नीचे लिखे लहसुन के अचूक प्रयोग-

- लहसुन की पांच-छ: कलियां पीसकर मट्ठे में भिगो दें। सुबह पीस लें। उसमें भुनी हिंग और अजवाइन व सौंफ के साथ ही सोंठ व सेंधा नमक, पुदीना मिलाकर चूर्ण बना लें। आधा तोला चूर्ण रोज फांकना चाहिए।

- लहसुन की चटनी तथा लहसुन को कुचलकर पानी का घोल बनाकर पीना चाहिए।

- लहसुन की दो कलियां भून लें उसमें सफेद जीरा व सौंफ सैंधा नमक मिलाकर चूर्ण बना लें। इसका सेवन सुबह खाली पेट गर्म पानी से करें
Source : http://akhtarkhanakela.blogspot.com/2011/12/blog-post_7067.html