Wednesday, February 29, 2012

ज़्यादा खाना कर रहा है बीमार, इस्लाम की सच्चाई की गवाही देती हुई एक रिसर्च

पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सिखाया है कि
  • अल्लाह के नज़दीक भरे हुए पेट से ज्यादा बुरा बर्तन कोई दूसरा नहीं है
  • अपने पेट का एक तिहाई हिस्सा खाने के लिए , एक तिहाई हिस्सा पानी के लिए और एक तिहाई हिस्सा हवाकेलिए रखो
यानि कि पेट भरकर मत खाओ वरना खाना तुम्हें ताक़त देने के बजाय बीमार कर देगा।
अब एक ताज़ा रिसर्च से भी यही बात साबित हुई है।
सुन्नत के तरीके में बेशक बरकत है।
देखिये:
जरूरत से ज्यादा खाने की वजह से उच्च रक्तचाप, मधुमेह और आघात जैसी बीमारियां तो हो सकती हैं, साथ ही कमजोर याददाश्त, डिमेन्शिया और तो और अल्जाइमर जैसी समस्याएं बीमारियों की इस सूची को और बड़ी कर सकती हैं।
मेयो क्लीनिक ने बढ़ती उम्र के साथ बढ़ती समस्याओं पर किए गए एक अध्ययन में कहा है कि इसके शुरूआती नतीजों से संकेत मिलता है कि जरूरत से ज्यादा खाने की वजह से अधिक उम्र के लोगों की याददाश्त कमजोर होने का खतरा अधिक होता है।
अध्ययन में अधिक उम्र के लोगों में, ली जाने वाली कैलोरी और आसन्न मामूली संज्ञानात्मक बाधा (माइल्ड कॉग्नीटिव इम्पेयरमेंट-एमसीआई) के बीच संबंध पाया गया है। एमसीआई वास्तव में उम्र के साथ साथ याददाश्त कमजोर होने की सामान्य समस्या और शुरूआती अल्जाइमर के बीच की स्थिति है। मेयो क्लीनिक ने यह अध्ययन 2006 में 70 से 89 साल के 1,233 लोगों पर शुरू किया था जिन्हें पहले डिमेन्शिया नहीं था।
Source :

ज्यादा खाने से यादाश्त कमजोर होती है.

Thursday, February 23, 2012

आंवला... Amla

आज के तेज व प्रतिस्पर्धा वाले युग में पौष्टिक आहार तथा गुणी खाद्य पदार्थों की रोगों से बचाव के लिए खोज व बीमारी के समय उनके प्रयोग ने हमारी जीवन शैली में क्रांतिकारी परिवर्तन किए हैं ।

आंवला....

(Emblica Officinalis) एंबलिका ऑफिसिनालिस (वनस्पतिशास्त्र नाम)

भारतीय गूज़बैरी।
जैसे कि इसका नाम दर्शाता है, भारत के लिए यह एक स्वदेशीय फल है।

amla

इस पौधे का उपयोग दवाई के रूप में किया जाता है। यह एक विस्मयकारी बूटी है।

आयुर्वेद की एक महान अधिकार शाखा, 'षुस्रुत' इसे सभी फलों में सबसे अधिक उत्तम, अच्छी सेहत के लिए उपयोगी तथा अनेक रोगों के उपचार में सहायक मानती है। च्यवनप्राश में यह मुख्य घटक के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। च्यवन ऋषि ने 70 वर्षों की आयु के पश्चात भी इसके उपयोग द्वारा अपने पुरुषत्व की प्राप्ति की थी।

इसके 100 ग्राम फल में 58 कैलोरी होती हैं।
इसमें कैलशियम,फ़ॉस्फोरस, आयरन, कैरोथीन, थियामाइन, रिबोफ्लाविन, नियासिन और विटामिन 'सी'होते हैं।

इसमें विटामिन 'सी'बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है तथा यह प्राकर्तिक रूप से ठंडा होता है। यह एक क्षय प्रतिरोधक है। इसमें सूख जाने तथा चूर्ण के रूप में प्रयोग किये जाने पर भी विटामिन 'सी' की मात्रा बहुत अधिक होती है।

इसके कुछ लाभकारी गुण:
1. यह एक अत्यंत स्फूर्तिदायक व नवजीवन का संचार करने वाला तत्व है। बलवर्धक औषधि के रूप में इसका उपयोग होता है। यह आयु प्रतिरोधक है। यह शारीरिक शाक्ति को बढाता है।
2. हृदय रोगों जैसे उच्च रक्त-चाप व हृदय गति के बढने को रोकने में सहायक है। यह हृदय की माँस-पेशियों को सुदृढ बनाता है जिससे हृदय गति का संतुलन बना रहता है और उसे बढने या रुकने से बचाए रखता है। अधिक मात्रा में पेशाब (diuretic) होने की स्थिति में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है। यह उच्च रक्त-चाप को कम करने में भी सहायता प्रदान करता है।
3. यह प्राकर्तिक रूप से ठंडा होता है तथा स्मरण शक्ति, बालों के सफेद होने, बालों के झड़ने व नींद न आने की बीमारी (इनसोम्निया) आदि में भी लाभदायक होता है।
4. दिन में दो बार ¼ चम्मच आंवला पाउडर + ¼ चम्मच हल्दी पाउडर अथवा 1 चम्मच आंवले का रस + ¼ चम्मच हल्दी का रस, खाने के साथ सेवन करने से यह मधुमेह में भी लाभदायक होता है। ताज़े आंवले और हल्दी के मिश्रण को चटनी के रूप में भी उपयोग में लाया जा सकता है। यह (pancreas)पेनक्रिएस को अधिक मात्रा में इनसुलिन उत्पन्न करने के लिए उतप्रेरित करता है।
5. यह पीलिया तथा(liver)कलेजे संबधी रोगों के उपचार में लाभदायक होता है।
6. यह गैसटिक अल्सर तथा (Deuodenal)डियोडिनल अल्सरमें लाभदायक होता है।
7. बवासीर में भी इसका प्रयोग मुलायम करने वाली दवा के रूप में किया जा सकता है।
8. इसका ठंडक पहुँचाने वाला गुण पेशाब की जलन व अनियमित मासिक धर्म में लाभदायक होता है।
9. रिफरेक्शन, पुतलियों की कमजोरी, ग्लूकोमा में इंटरा- ओक्यूलर टेंशन का कम होना, रेटिना में बदलाव, आँखों का आना इत्यादि नेत्र रोगों के लिए भी यह अच्छा रहता है। ताजे आंवले को धो कर गर्म की गई (स्टरलाईज़) सुई के द्वारा बींधें, फिर उसे दबा कर रस की कुछ बूंदें सीधे आँखों में डालने से मोतियाबिन्द को बनने से रोका जा सकता है।
10. फेफड़े की सूजन, दमा व तपैदिक (क्षय रोग) में भी यह लाभदायक है।
11. त्वचा रोगों,दाद-खुजली और हथेली व तलवों में अधिक पसीना आने में भी यह लाभकारी है।
12. यह जोड़ों के दर्द में भी लाभदायक होता है।
13. आंवला पाउडर + मिश्री को बराबर मात्रा में मिला कर बनाए गए मिश्रण की 1 चम्मच रात को सोते समय 1 ग्लास पानी के साथ लेनी चाहिए। इससे वीर्य-संख्या में वृद्धि होती है।

सामान्य लाभ:
1. सिर दर्द,
2. उच्च रक्त-चाप,
3. नींद न आना,
4. नेत्र रोगों,
5. केश-संबंधी रोगों,
6. त्वचा रोगों,
7. दंत-संबंधी परेशानी,

आंवला पाउडर को पानी में उबाल कर ठंडा करके गरारे करने से दाँत अच्छे और मजबूत रहते हैं। इसका उपयोग तुलसी के अर्क के साथ मिला कर बालों को काला करने के लिए भी किया जा सकता है।

बनाने की विधि:


अर्क (रस) बनाना: आंवले को साफ करने के बाद उसकी लेई (पेस्ट) बना लें, फिर एक साफ पतले कपड़े में रखें तथा निचोड़ कर उसका अर्क निकालें। यह अर्क शहद, चीनी या मिश्री के साथ प्रयोग में लाया जा सकता है। मधुमेह के रोगी चीनी के स्थान पर हल्दी पाउडर का प्रयोग कर सकते हैं।
चूर्ण (पाउडर) बनाना: पहले आंवले को छांव में सुखाएँ, फिर उसके बीज आदि को निकाल लें तथा उसे कूट कर चूर्ण बना लें। सामान्यत: सेवन के समय चूर्ण व चीनी को बराबर मात्रा में मिला कर प्रयोग करना चाहिए। दिन में दो बार 6 ग्राम मिश्रण पानी के साथ लेना चाहिए। मधुमेह के रोगी चीनी के स्थान पर हल्दी पाउडर का प्रयोग कर सकते हैं।

सावधानियाँ:

1. आंवले के सेवन से तुरंत पहले या बाद में दूध नहीं लेना चाहिए। दूध के साथ इसका प्रयोग सिर्फ
च्यवनप्राश के रूप में करना चाहिए।
2. वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार आंवले का प्रयोग शुक्रवार और रविवार के दिन नहीं करना चाहिए।

लेखिका: मिस मेघना मोदी

हिंदी अनुवादक: प्रदीप त्यागी, जामनगर, भारत

http://www.geocities.ws/prthindi/hi/amla_hi.html

Monday, February 20, 2012

बैलंस्ड डाइट में क्या-क्या है राइट ?

अकसर लोग कहते हैं कि हम जीने के लिए खाते हैं , खाने के लिए नहीं जीते। इस स्टेटमंट में खानपान के प्रति उपेक्षा का भाव छिपा हुआ है।

अच्छा खाना मतलब महंगा खाना नहीं
, बल्कि हेल्दी खाना है। रोजमर्रा की भागदौड़ और तनाव से भरी जीवनशैली में डाइट पर ध्यान दिया जाना खासा जरूरी है। सौरभ द्विवेदी ने टॉप न्यूट्रिशनिस्ट्स से बात कर पता लगाई मेट्रो जीवनशैली में सही खुराक:

क्या है न्यूट्रिशन
खाना खाने का साइंस ही न्यूट्रिशन है। खाने में ज्यादा से ज्यादा साबुत अनाज शामिल करें। ताजे फलों और सब्जियों को वरीयता दें और मौसमी फल व सब्जियां बहुतायत में खाएं। मौसमी फल शरीर की जरूरतों को ज्यादा बेहतर तरीके से पूरा करते हैं और कोल्ड स्टोरेज के फलों की तुलना में ज्यादा पौष्टिक भी होते हैं। खाने में बहुत ज्यादा बदलाव की जरूरत नहीं है। पारंपरिक भोजन प्रणाली ही हमारे शरीर के लिए मुफीद है। न्यूट्रिशन के बारे में सबसे बड़ी गलतफहमी यह है कि इसके लिए लोगों को अपने खाने में पूरी तरह से बदलाव करना पड़ता है और कई चीजें खाना बंद करना पड़ता है। दिक्कत खाने से नहीं , जरूरत से ज्यादा खाने से होती है।

स्वस्थ रहने के बेसिक प्रिंसिपल हैं: डाइट , एक्सरसाइज और स्ट्रेस मैनिजमंट यानी बेहतर खाना खाएं , रोजाना कम से कम 45 मिनट तक एक्सरसाइज करें और खुद को तनावमुक्त रखने के हर मुमकिन उपाय करें। तनाव कम करने के लिए भरपूर नींद बेहद जरूरी है। आम तौर पर बच्चों को 10 घंटे और बड़ों को 6-7 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए। संतुलित आहार के साथ संतुलित जीवनशैली की जरूरत को भी समझना होगा।

पानी कितना पिएं

-पानी के इस्तेमाल को लेकर तमाम तरह के दावे किए जाते हैं। पानी का अहम काम शरीर को डिटॉक्सिफाई यानी विषैले तत्वों को शरीर से बाहर निकालना है। आमतौर पर दिन में दो-ढाई लीटर फ्लुइड की जरूरत शरीर को होती है। इसके बड़े हिस्से की पूर्ति पानी के जरिए होती है। पानी शरीर में ऊर्जा का संचार करता है और हम इसे पीते ही बेहतर महसूस करते हैं। आज की जीवनशैली के लिहाज से देखा जाए तो पानी का महत्व और भी बढ़ जाता है। ज्यादातर वक्त एसी ऑफिसों में काम करने की वजह से शरीर को प्यास का एहसास नहीं होता। ऐसे में खुद से ध्यान देकर पानी पीने की जरूरत है।

-सुबह-सवेरे भरपेट पानी पीने पर कई योगाचार्य जोर देते हैं , लेकिन न्यूट्रीशन एक्सपर्ट कहते हैं कि सुबह बहुत ज्यादा पानी पीने पर एक्सरसाइज करने में दिक्कत आती है।

-शराब पीनेवालों को ज्यादा पानी की जरूरत होती है। अल्कोहल की वजह से शरीर में पानी की कमी हो जाती है। ऐसे लोग सुबह सिरदर्द की शिकायत करते हैं। पानी पीने से इसमें निश्चित तौर पर कुछ राहत महसूस की जाती है।


खाना खाने के दौरान पानी: खाना खाने के पहले कितना भी पानी पी सकते हैं। खासतौर पर वजन कम करने की कवायद में लगे लोग इस ट्रिक का इस्तेमाल करते हैं। खाना खाने के पहले पानी पीने से भूख कम लगती है। खाने के दौरान कुछ घूंट पानी पिया जा सकता है , लेकिन खाने के बाद अगले 45 मिनट से लेकर एक घंटे तक पानी न पिएं।

कई डाइटीशियन पानी के फैक्टर को इग्नोर करते हैं। वे पानी को जरूरी न्यूट्रिएंट नहीं मानते। लेकिन अमेरिका में सबसे पहले डॉक्टर पानी की सलाह देते हैं। रोजाना 10-12 ग्लास पानी पीना चाहिए। नारियल पानी , नीबू पानी , लस्सी-मट्ठा या सिर्फ पत्ती वाली चाय भी अच्छे लिक्विड हैं।

मीठे से परेशान
हम रोजाना जो भी खाना खाते हैं , उसमें शामिल पदार्थ मसलन अनाज , फल , सब्जियों आदि में शरीर की जरूरत के लायक शुगर होती है। इसलिए अगर डायरेक्ट शुगर न भी ली जाए तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। शुगर शरीर में एक्स्ट्रा कैलरी की तरह होती है और इस कैलरी का यूज न होने पर यह फैट में तब्दील हो जाती है।

मौसमी फल बेहतर

फल शरीर को पोषण देने में अहम रोल निभाते हैं। मौसमी फल ज्यादा महंगे भी नहीं होते और शरीर को फायदा भी ज्यादा पहुंचाते हैं। कोशिश फलों को सीधे खाने की करें। उनके गूदे के जरिए शरीर में रोजाना 30-35 ग्राम फाइबर पहुंचना चाहिए। अगर फल उपलब्ध नहीं हैं तो फलों का ताजा जूस पीना चाहिए। कोई विकल्प न होने पर ही पैकिज्ड जूस पीना चाहिए। फलों को सुबह-सवेरे खाली पेट खाना भी कोई बहुत अच्छा विकल्प नहीं है। इसके बजाय दिन में स्नैक्स के तौर पर फल खाना ज्यादा बेहतर है। याद रखें कि फल खाने का विकल्प नहीं , बल्कि उसके पूरक हैं। दिन में तीन बार संतुलित आहार लेना बेहद जरूरी है। इनके बीच के गैप में फल खाने चाहिए।


मसला फाइबर का

फाइबर शरीर के डाइजेशन सिस्टम को सुचारु रूप से चलाने में बेहद मददगार होता है। रोजाना घरों में इस्तेमाल होने वाला आटा मिल का होता है। इसमें चना और दूसरे अनाजों का आटा मिला लेना चाहिए। आटे को छानने से भी बचना चाहिए। इसमें जितनी ज्यादा भूसी होगी , शरीर के लिए उतना ही अच्छा होगा। इसके अलावा दालें मसलन मूंग की दाल , लोबिया और राजमा भी फाइबर के अच्छे स्रोत हैं। कोशिश करनी चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा साबुत अनाज खाया जाए।

डायबीटीज वालों का खानपान
- मोटे लोगों को ज्यादा दिक्कत होती है। वजन को बढ़ने न दें और कम कैलरी वाला खाना खाएं।

- खाने में वैरायटी बनाए रखने के लिए चीजें बदलते रहें। मसलन , कभी लंच में दलिया लिया जा सकता है तो कभी रोटी।

- कई बार में खाना खाएं। यानी एक बार में खाने की मात्रा कम रखें। इसे शरीर के अंदर का ग्लाइकैमिक स्टेटस मेंटेन रहता है।

- पूरे दिन के खाने को 5-6 हिस्सों में बांटा जा सकता है , लेकिन वजन कम करने के फेर में खाना मत छोड़ें।

डिनर के बाद दूध

अगर रात 8 बजे तक डिनर कर लिया है तो सोने से पहले एक कप दूध पीना अच्छा रहता है। लेकिन यह डिनर की क्वॉलिटी पर भी डिपेंड करता है। अगर डिनर में प्रोटीन देने वाला फूड मसलन फिश , चिकन या दाल ली है तो दूध लेना ठीक नहीं रहता। ऐसा करने पर रात में प्रोटीन का लोड बढ़ जाता है। लेकिन यह बात सभी पर समान तरीके से लागू नहीं की जा सकती। मसलन , प्रेग्नंट महिलाओं या खिलाड़ियों को ज्यादा प्रोटीन की जरूरत होती है। ऐसिडिटी की दिक्कत है तो ठंडा दूध ही लेना चाहिए। दूध हमेशा मलाई रहित स्किम्ड होना चाहिए।


बादाम का आया मौसम

बादाम व अखरोट बेस्ट नट्स हैं। इनमें ओमेगा 3 फैटी ऐसिड होता है , जो शरीर के लिए बहुत जरूरी है। ब्रेन के लिए भी यह जरूरी है। नट्स को तलना नहीं चाहिए। मूंगफली नट्स का बेहतर विकल्प नहीं है। इसके छिलके में एफ्ला टॉक्सिन होते हैं , जो शरीर के लिए नुकसानदेह है। दूसरी बात यह कि मूंगफली खाने के दौरान इसकी क्वांटिटी पर काबू नहीं रहता। इसके बजाय गुड़ की पट्टी खाना बेहतर है। बादाम हर फॉर्म में बेस्ट है , चाहे रोस्टेड हो या सादा। लेकिन फ्राइड और सॉल्ट कवर्ड फॉर्म में नहीं लेना चाहिए।

फास्ट का फंडा

पहले व्रत करने की सलाह इसलिए दी जाती थी ताकि लोग अपनी बॉडी डिटॉक्सिफाई कर सकें। लेकिन व्रत के दौरान भी पूरी तरह खाना छोड़ने के बजाय दही या फल खाने चाहिए। बेहतर तरीका यही है कि डॉक्टर से सलाह करके व्रत किया जाए। अगर ऐसा नहीं करते हैं तो लॉन्ग टर्म में नुकसान होता है।

आंवला क्यों खाएं ?
आंवला विटामिन सी का सबसे अच्छा सोर्स है। इसमें ऐंटी-ऑक्सिडंट भी होते हैं , जो हार्ट अटैक रोकते हैं और डायबीटीज़ में फायदा करते हैं। आंवला कैंसर प्रमोट करने वाली सेल्स को काटने में भी मददगार है। किसी को ब्लड प्रेशर की प्रॉब्लम है तो कच्चा आंवला खाना ठीक रहेगा।

लहसुन

लहसुन में ऐंटी-ऑक्सिडंट की प्रचुर मात्रा होती है। रोजाना लहसुन की एक या दो फांक खानी चाहिए। इससे हार्ट डिजीज़ की आशंका 25 से 50 फीसदी कम हो जाती है। यह डायबीटीज़ में भी मददगार होता है। यह ऐंटी ऑक्सिडंट का नेचरल सप्लिमंट हैं। लहसुन को कच्चा खाना ही बेहतर है। इसे खाने पर मुंह से आने वाली गंध से बचने के लिए खाने के बाद पानी पी सकते हैं या फिर कोई च्यूंगम चबा लें। बेहतर यह है कि लहसुन को चबाकर खाने के बजाय सीधे टैब्लेट की तरह निगल लें।


पनीर

पनीर की क्वॉलिटी उसके सोर्स पर डिपेंड करती है। फुल क्रीम दूध से बना पनीर बॉडी के लिए अच्छा नहीं होता। इसमें हाई और सेचुरेडेट फैट बहुत ज्यादा होते हैं। ये ऐसे फैट हैं , जो शरीर के लिए अच्छे नहीं होते। टोंड मिल्क से बने पनीर में काफी कैल्शियम और प्रोटीन रहता है। कच्चा पनीर खाना सबसे अच्छा है। प्रोसेस्ड पनीर जो पीत्सा जैसे फूड आइटमों में इस्तेमाल होता है , उसे खाने से परहेज करना चाहिए। प्रोसेस्ड पनीर को तैयार करते हुए सोडियम मिलाते हैं , जो सेहत के लिए अच्छा नहीं है। पनीर को ग्रिल करके या फिर कच्चा ही नमक और काली मिर्च डालकर खाएं।

डाइट रेगुलेशन

तेल का खेल: लोग पहले क्वांटिटी ऑफ ऑयल पर ध्यान देते थे। उनका मानना था कि कम तेल में खाना पकाने पर कोई समस्या नहीं हो सकती। लेकिन अब लोग तेल की क्वॉलिटी पर ज्यादा जोर देते हैं। ज्यादातर लोग रिफाइंड ऑयल या मूंगफली तेल इस्तेमाल करते हैं , जो शरीर के लिए हानिकारक है। जहां तक अच्छे तेल की बात है तो कई लोगों की धारणा है कि थोड़ी तादाद में देसी घी खाना सही होता है। मगर शैंपू की तरह तेल भी बदल-बदल कर इस्तेमाल करना चाहिए। सोयाबीन , सरसों या अलसी का तेल , जिसमें ओमेगा थ्री सही मात्रा में दिया गया है , जो हार्ट अटैक की आशंका कम करता है। एक इंसान को महीने में आधा लीटर तेल खाना चाहिए यानी रोजाना 3-4 छोटे चम्मच। वनस्पति तेल जैसे डालडा हाइड्रोजेलेट फैट होता है। सस्ता होने की वजह से लोग इसका इस्तेमाल करते हैं , लेकिन शरीर के लिए यह बहुत ज्यादा हानिकारक है। इसे खाना फौरन बंद कर दें।

जंक फूड को न: मोटापा और तनाव की सबसे बड़ी वजह हमारी भोजन शैली में बदलाव है। शारीरिक श्रम कम और पौष्टिक आहार की जगह बाजार का रेडीमेड फूड। इसमें जंक फूड की वजह से शरीर में फैट जैसे कुछ तत्व बहुत ज्यादा मात्रा में पहुंच जाते हैं , जबकि प्रोटीन और विटामिन की कमी हो जाती है। जंक फूड और कोल्ड ड्रिंक से जितना ज्यादा बच सकें , उतना ही बेहतर है।

आलू के आगे भी दुनिया: सब्जियों में भी आलू की बहुतायत एक बड़ी समस्या है। आलू कार्बोहाइड्रेट और स्टार्च का स्रोत होता है। मझोले आकार का एक आलू एक चपाती के बराबर कैलरी देता है। लेकिन इसका ज्यादा मात्रा में सेवन शरीर में एक्स्ट्रा कैलरी यानी फैट ही बनाएगा।

रोटी करें कम: भारत में खाने से मतलब लगाया जाता है कि कितनी रोटियां या चावल खाया। हमारे यहां सब्जी और दाल को अलग से खाने का चलन नहीं है। खाने में साबुत अनाज तो होना चाहिए , लेकिन रोटी और चावल से पेट भरने के बजाय दाल , सलाद और हरी सब्जियों की मात्रा भी बढ़ानी चाहिए।


ब्राउन चावल बेहतर: रात के वक्त चावल खाने से परहेज करना चाहिए। बिना पॉलिश वाले ब्राउन चावल खाएं तो बेहतर है। पॉलिश्ड चावल में पोषक तत्व बहुत कम रह जाते हैं।

चाय का हाल: दूध डालकर उबाली गई चाय में न तो चाय की क्वॉलिटी रहती है और न ही दूध की। बेहतर होगा कि पानी में उबाल कर चाय पिएं और दूध अलग से पिएं। चाय उतनी बुरी नहीं है , लेकिन उबाल कर दूध के साथ पीने पर यह फायदा नहीं करेगी बल्कि कैंसर सेल्स को प्रमोट करेगी। ब्लैक टी या ग्रीन टी चाय के बेहतर ऑप्शन हैं। चाय में दूध डालें भी तो ज्यादा नहीं।
Source : http://hindi.economictimes.indiatimes.com/rssarticleshow/msid-4622017,prtpage-1.cms

Wednesday, February 15, 2012

सेक्स पावर बढ़ानी है तो लहसुन, काले चने, सफेद मुसली खाओ

सेक्स पावर बढ़ानी है तो अपना वजन वजन कम करें और अपने खाने पीने मे उन चीज़ों का सेवन अधिक करें जो सेक्स शक्ति बढ़ाने मे मदद करे.

तनाव से होने वाले हार्मोनल परिवर्तन और पौष्टिक आहार की कमी ही सिर्फ सेक्‍स लाइफ को प्रभावित नहीं करते बल्कि कई बार मानसिक कमजोरी भी इसे प्रभावित करता है। बीमारी में तो आप डॉक्‍टर से संपर्क करते हैं लेकिन इस तरह की समस्‍याओं में डॉक्‍टर के पास जाने से घबराते हैं। ऐसे में घरेलू उपाय को अपनाकर सेक्‍स लाइफ को बुस्‍टअप कर सकते हैं।

. लहसुन की 2-3 कलियां और प्‍याज का प्रतिदिन सेवन से यौन-शाक्ति बढ़ती है।

. काले-चने से बने खाद्य-पदार्थ का हफ्ते मे 2-3 बार प्रयोग करना लाभकारी है।

. कच्‍चा गाजर या इसका जूस भी यौन शक्ति को बढ़ाने में मददगार है।

. ताजा फलों के रस भी तन और मन को ताजा करता है।

. आधा चम्मच अदरक का रस, एक चम्मच शहद तथा एक उबले हुए अंडे का आधा हिस्सा, सभी को मिलकार मिश्रण बनाए प्रतिदिन रात को सोने से पहले एक महीने तक सेवन करें।

. हफ्ते में दो बार भिंडी और सहजन खाने से काफी फायदा होता है।

. 15 ग्राम सहजन के फूलो को 250 मिली दूध मे उबालकर सूप बनाए। इसे यौन-टौनिक के रूप मे इस्‍तेमाल करें।

. 30 ग्राम किशमिश को गुनगुने पानी मे धोए, 200 मिली दूध मे उबाले तथा दिन मे तीन बार सेवन लें।

. बादाम, पिस्ता खजूर तथा श्रीफल के बीजो को बराबर मात्रा मे लेकर मिश्रण बनाए। प्रतिदिन 100 ग्राम सेवन करें।

. यूनानी चिकित्सा के अनुसार 15 ग्राम सफेद मूसली को एक कप दूध मे उबालकर दिन मे दो बार पीने से ज्‍यादा शक्तिशाली महसूस करेंगे।

Source : http://www.dunialive.com/2010/10/10/%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B8-%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B0-%E0%A4%AC%E0%A4%A2%E0%A4%BC%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80-%E0%A4%B9%E0%A5%88-%E0%A4%A4%E0%A5%8B-%E0%A4%B2%E0%A4%B9/

बथुआ तीनों दोषों को शांत करता है

आज चर्चा करने जा रहा हूँ जो ( गाँव की शान है ,सेहत की जान है,) आम लोगों को आसानी से आहार में मिलता रहा है | इसकी गणना हरी पतेदार सब्जी में की जाती है | जो लौह तत्व और कल्स्शियम से भरपूर है | हमारे पूर्वजों की सबसे पसंदीदा शाक ( साग ) है जिसका नाम है बथुआ |

बथुआ में प्रायः शरीर के सभी पोषक तत्व पाए जाते है
| मौसम के अनुसार उपलब्ध इसका सेवन करके छोटे-छोटे रोगों से अपना बचाव स्वयं किया जा सकता है | वैज्ञानिक शोधों से पता चल चूका है कि जिन सब्जियों को शीधे सूर्य से प्रकाश प्राप्त होता है,वे पेट में जाकर विषाणु-कीटाणुओं का नाश करती है | बथुआ भी उन्ही सब्जी में से एक है जिन्हें सूर्य का प्रकाश सीधे मिलता है |



विभिन्न प्रकार के पौष्टिक तत्वों से सुसज्जित बथुआ एक सस्ता साग है | विशेषकर यह ग्रामीण क्षेत्र में सहजता से प्राप्त होने वाला प्रकृति का एक अनमोल तोहफा है | ग्रामीण इलाकों में बथुआ कि कोई उपियोगित नहीं है,जबकि प्रक्रति ने इसमें सभी प्रकार के अच्छाइयाँ समाहित कर रखी है | भोजन में इसकी मौजदगी से कई प्रकार के रोगों से बच सकते है | यह बाजारों में दिसंबर से मार्च तक आसानी से मिल जाता है |

बथुआ अपने आप गेहूं व जौ के खेतों में उग जाता है | इसके पते त्रिकोनाकर व नुकीले होते है , इसके पौधे पर सफ़ेद,हरे व कुछ लालिमा लिए छोटे-छोटे फुल होते है | बीज काले रंगे के सरसों से भी महीन होते है | पकने पर बीज खेत में गिर जाता है और साल भर तक जमीन के अन्दर पड़े होने के बाद अनुकूल जलवायु व परिस्थितियां मिलने पर स्वतः उग आते है |

बथुआ के बारे में प्राचीन आयुर्वेद ग्रन्थ में भी उल्लेख मिलता है | आयुर्वेद में इसकी दो प्रजातियाँ है ,एक गौड़ बथुआ जिसके पते कुछ बड़े आकर तथा लालिमा लिए होते है ,जो अक्सर सरसों ,गेहूं आदि के खेत में प्राप्त होता है | दूसरा है,यवशाक जिसके पतों पर लालिमा नहीं होती, पते भी पहले जाती के अपेक्षा कुछ छोटे होते है,जो अक्सर जौ के खेतों में अधिकतर मिलता है इसीलिए इसे यवशाक कहते है |

बथुआ को संस्कृत में वस्तुक,क्षारपत्र ( पतों में खरापर के वजह से ) शाकराट ( सागों का राजा ) ,हिंदी में बथुआ ,पंजाबी में बाथू, बंगाली में बेतुवा, गुजराती में वाथुओ,
महारास्त्र में चाकवत, और अंग्रेजी में ह्वाईट गुज फुट ( White goose foot ) कहते है ,इसका लैटिन नाम चिनोपोडियम अल्बम ( Chenopodium album ) है |


बथुआ में 70% जल होता है , इसके अन्दर पारा, लौह, क्षार, कैरोटिन व विटामिन C आदि खनिज तत्व पाए जाते है | भाव प्रकाश में इसके गुणों का उल्लेख में लिखा है कि बथुआ क्षारयुक्त, स्वादिष्ट, अग्नि को तेज करने वाला तथा पाचनशक्ति को बढ़ानेवाला है |

दीपनं पाचनं रुच्यं लघु शुक्रबलप्रदनम |
सरं प्लीहास्त्रपितार्शः कृमिदोषत्रयापहम ||

बथुआ का शाक पचने में हल्का ,रूचि उत्पन्न करने वाला, शुक्र तथा पुरुषत्व को बढ़ने वाला है | यह तीनों दोषों को शांत करके उनसे उत्पन्न विकारों का शमन करता है | विशेषकर प्लीहा का विकार, रक्तपित, बवासीर तथा कृमियों पर अधिक प्रभावकारी है |
Source : http://forums.abhisays.com/showthread.php?t=3840

Tuesday, February 14, 2012

कलौंजी-एक रामबांण दवा kalonji

पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया है कि - ‘कलौंजी इस्तेमाल किया करो कि बेशक यह मौत के सिवा तमाम बीमारियों की दवा है।


  • इस पर बहुत कुछ लिखा जा चुका है और बहुत कुछ लिखा जाना अभी बाक़ी है। इंसान अभी तक अपने तजर्बे से कलौंजी के जितने फ़ायदे जान पाया उनमें से कुछ आज यहां पेश किए जाते हैं-

    मिस्र, जोर्डन, जर्मनी, अमेरीका, भारत, पाकिस्तान आदि देशों के 200 से ज्यादा विश्वविद्यालयों में 1959 के बाद कलौंजी पर बहुत शोध कार्य हुआ है। मुझे पता लगा कि 1996 में अमेरीका की एफ।डी।ए। ने कैंसर के उपचार, घातक कैंसर रोधी दवाओं के दुष्प्रभावों के उपचार और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली सुदृढ़ करने के लिए कलौंजी से बनी दवा को पेटेंट पारित किया था।

    कलौंजी दुग्ध वर्धक और मूत्र वर्धक होती है। कलौंजी जुकाम ठीक करती है और कलौंजी का तेल गंजापन भी दूर करता है। कलौंजी के नियमित सेवन से पागल कुत्ते के काटे जाने पर भी लाभ होता है। लकवा, माइग्रेन, खांसी, बुखार, फेशियल पाल्सी के इलाज में यह फायदा पहुंचाती हैं। दूध के साथ लेने पर यह पीलिया में लाभदायक पाई गई है। यह बवासीर, पाइल्स, मोतिया बिंद की आरंभिक अवस्था, कान के दर्द व सफेद दाग में भी फायदेमंद है। कलौंजी को विभिन्न बीमारियों में इस प्रकार प्रयोग किया जाता है।

    1-कैंसरः- कैंसर के उपचार में कलौजी के तेल की आधी बड़ी चम्मच को एक ग्लास अंगूर के रस में मिलाकर दिन में तीन बार लें। लहसुन भी खुब खाएं। 2 किलो गैंहू और 1 किलो जौ के मिश्रित आटे की रोटी 40 दिन तक खिलाएं। आलू, अरबी और बैंगन से परहेज़ करें।

    2-खांसी व दमाः- छाती और पीठ पर कलौंजी के तेल की मालिश करें, तीन बड़ी चम्मच तेल रोज पीयें और पानी में तेल डाल कर उसकी भाप लें।

    3-उदासी और सुस्तीः- एक ग्लास संतरे के रस में एक बड़ी चम्मच तेल डाल कर 10 दिन तक सेवन करें। आप को बहुत फर्क महसूस होगा।

    4-याददाश्त और मानसिक चेतनाः- एक छोटी चम्मच तेल 100 ग्राम उबले हुए पुदीने के साथ सेवन करें।

    5-डायबिटीजः- एक कप कलौंजी के बीज, एक कप राई, आधा कप अनार के छिलके और आधा कप पितपाप्र को पीस कर चूर्ण बना लें। आधी छोटी चम्मच कलौंजी के तेल के साथ रोज नाश्ते के पहले एक महीने तक लें।

    6-गुर्दे और पेशाब की थैली की पथरीः- पाव भर कलौंजी को महीन पीस कर पाव भर शहद में अच्छी तरह मिला कर रख दें। इस मिश्रण की दो बड़ी चम्मच को एक कप गर्म पानी में एक छोटी चम्मच तेल के साथ अच्छी तरह मिला कर रोज नाश्ते के पहले पियें।

    7-सुन्दर व आकर्षक चेहरे के लिएः- एक बड़ी चम्मच कलौंजी के तेल को एक बड़ी चम्मच जैतून के तेल में मिला कर चेहरे पर मलें और एक घंटे बाद चेहरे को धोलें। कुछ ही दिनों में आपका चेहरा चमक उठेगा।

    8-उल्टी और उबकाईः- एक छोटी चम्मच कार्नेशन और एक बड़ी चम्मच तेल को उबले पुदीने के साथ दिन में तीन बार लें।

    9-स्वस्थ और निरोग रहने के लिएः- एक बड़ी चम्मच तेल को एक बड़ी चम्मच शहद के साथ रोज सुबह लें, आप तंदुरूस्त रहेंगे और कभी बीमार नहीं होंगे।

    10-हृदय रोग, ब्लड प्रेशर और हृदय की धमनियों का अवरोधः- जब भी कोई गर्म पेय लें, उसमें एक छोटी चम्मच तेल मिला कर लें, रोज सुबह लहसुन की दो कलियां नाश्ते के पहले लें और तीन दिन में एक बार पूरे शरीर पर तेल की मालिश करके आधा घंटा धूप का सेवन करें। यह उपचार एक महीनें तक लें।

    11-सफेद दाग और लेप्रोसीः- 15 दिन तक रोज पहले सेब का सिरका मलें, फिर कलौंजी का तेल मलें।

    12-कमर दर्द और आर्थाइटिसः- हल्का गर्म करके जहां दर्द हो वहां मालिश करें और एक बड़ी चम्मच तेल दिन में तीन बार लें। 15 दिन में बहुत आराम मिलेगा।

    13-सिर दर्दः- माथे और सिर के दोनों तरफ कनपटी के आस-पास कलौंजी का तेल लगायें और नाश्ते के पहले एक चम्मच तेल तीन बार लें कुछ सप्ताह बाद सर दर्द पूर्णतः खत्म हो जायेगा।

    14-अम्लता और आमाश्य शोथः- एक बड़ी चम्मच कलौंजी का तेल एक कप दूध में मिलाकर रोज पांच दिन तक सेवन करने से आमाश्य की सब तकलीफें दूर हो जाती है।

    15-बाल झड़नाः- बालों में नीबू का रस अच्छी तरह लगाये, 15 मिनट बाद बालों को शेम्पू कर लें व अच्छी तरह धोकर सुखा लें, सूखे बालों में कलौंजी का तेल लगायें एक सप्ताह के उपचार के बाद बालों का झड़ना बन्द हो जायेगा।

    16-नेत्र रोग और कमजोर नजरः- रोज सोने के पहले पलकों ओर ऑखो के आस-पास कलौजी का तेल लगायें और एक बड़ी चम्मच तेल को एक कप गाजर के रस के साथ एक महिने तक लें।

    17-दस्त या पैचिशः-एक बड़ी चम्मच कलौंजी के तेल को एक चम्मच दही के साथ दिन में तीन बार लें दस्त ठीक हो जायेगा।

    18-रूसीः- 10 ग्राम कलौंजी का तेल, 30 ग्राम जैतून का तेल और 30 ग्राम पिसी मेंहन्दी को मिला कर गर्म करें। ठंडा होने पर बालों में लगाएं और एक घंटे बाद बालों को धो कर शैम्पू कर लें।

    19-मानसिक तनावः- एक चाय की प्याली में एक बड़ी चम्मच कलौंजी का तेल डाल कर लेने से मन शांत हो जाता है और तनाव के सारे लक्षण ठीक हो जाते हैं।

    20-स्त्री गुप्त रोगः- स्त्रियों के रोगों जैसे श्वेत प्रदर, रक्त प्रदर, प्रसवोपरांत दुर्बलता व रक्त स्त्राव आदि के लिए कलौंजी गुणकारी है। थोड़े से पुदीने की पत्तियों को दो ग्लास पानी में डाल कर उबालें, आधा चम्मच कलौंजी का तेल डाल कर दिन में दो बार पियें। बैंगन, आचार, अंडा और मछली से परहेज रखें।

    21-पुरूष गुप्त रोगः- स्वप्नदोष, स्थंभन दोष, पुरुषहीनता आदि रोगों में एक कप सेब के रस में आधी छोटी चम्मच तेल मिला कर दिन में दो बार 21 दिन तक पियें। थोड़ा सा तेल गुप्तांग पर रोज मलें। तेज मसालेदार चीजों से परहेज करें।

    Source : http://rekha-singh.blogspot.in/2010/10/blog-post_729.html

    Saturday, February 11, 2012

    जिनके बाल झड़ते हों ,वे कच्चे पालक का सेवन करें

    >पालक का पौधा अपने देश के प्रायः सभी प्रान्तों में सुलभता व सस्ते में मिल जाता है | इनमे जो गुण है वैसा और किसी शाक में नहीं होता है | ज्यादातर यह शीत ऋतू में पाया जाता है परन्तु कहीं कहीं किसी और ऋतू में भी इनकी खेती की जाती है
    स्वाभाव से यह पाचक, तर और ठंढी होती है | पालक में दालचीनी डालने से इसकी ठंढी प्रकृति बदल जाती है | पालक को पकाने से इसके गुण नष्ट नहीं होते है |

    इनके गुण और लाभ है :- पालक में विटामिन ए,बी,सी, लोहा, कैल्सियम, अमीनो अम्ल तथा फोलिक अम्ल प्रचुर मात्रा में पाया जाता है | कच्चा पालक खाने में कडवा और खारा लगता है, परन्तु बहुत ही गुणकारी होता है | दही के साथ कच्चे पालक का रायता बहुत ही स्वादिष्ट और गुणकारी होता है | इसलिए गुणों में पालक अन्य सभी शाकों में सर्वोपरि है | इसका रस यदि पीने में अच्छा न लगे तो इसके रस में आंटा गुंथकर रोटी बनाकर खाने चाहिए | पालक रक्त में लाल कण बढाता है | कब्ज़ दूर करता है | पालक, दाल व अन्य सब्जियों के साथ खायें |

    पालक का रस सम्पूर्ण पाचन -तंत्र की प्रणाली ( पेट,छोटी-बड़ी आंतें ) के लिए सफाई-कारक एवं पोषण-कर्ता है | कच्चे पालक के रस में प्रकृति ने हर प्रकार के शुद्धिकारक तत्व रखे है | पालक संक्रामक रोग तथा विषाक्त कीटाणुओं से उत्पन्न रोगों से रक्षा करता है | इसमें विटामिन ‘ए’ पाया जाता है जो म्यूक्स मेम्ब्रेन्स की सुरक्षा के लिए उपयोगी है |

    रोगों में हितकर पालक :-
    बाल गिरना :- इसमें पाया जाने वाला विटामिन ‘ए’ विशेष मात्र में होता है जो बालों के लिए अत्यंत जरुरी होता है | जिसके बाल झाड़ता हो ,वो कच्चे पालक का सेवन करें |


    दम, खांसी, गले की जलन,फेफड़ों की सुजन और यक्ष्मा हो तो पालक के रस के कुल्ले करने से लाभ होता है | इसके साथ ही दो चम्मच मेथी कुथ्कर दो कप पानी में तेज उबालते हुए एक कप पानी रहने पर छानकर इसमें एक कप पालक का रस और स्वादानुसार शहद मिलाकर नित्य दो बार पिने से इन सभी रोगों में लाभ होता है | फेफड़ों को शक्ति मिलती है | बलगम पतला होकर बाहर निकल जाता है |

    रक्तविकार और शरीर की खुश्की व रक्तक्षीणता :- आधे गिलास पालक के रस में दो चम्मच शहद मिलाकर 50 दिन पियें | शरीर में इससे रक्त की वृद्धि होगी | गर्भिणी स्त्रियों में इससे लोहे ( आयरन ) की पूर्ति होती है |

    यदि प्रतिदिन पालक का रस नित्य 3 बार 125 ग्राम की मात्रा में लिया जाय तो समस्त विकार दूर होकर चेहरे पर लालिमा, शरीर में स्फूर्ति, उत्साह एवं शक्ति का संचार, रक्तभ्रमण तेजी से होता है | निरंतर सेवन से चेहरे के रंग में निखार आ जाता है | रक्त बढ़ता है | इसका रस, कच्चे पते या छिलके सहित मुंग की दाल में पालक की पतियाँ डालकर सब्जी खानी चाहिए | यह रक्त साफ़ और बलयुक्त करता है |

    पायोरिया :- पालक का रस दांतों और मसूढ़ों को मजबूत बानाता है | रोगी को कच्चा पालक दांतों से चबाकर खाना चाहिए | प्रातः भूखे पेट पालक का रस पिने से पायोरिया ठीक हो जाता है | इसमें गाजर का रस मिलाने से मसूढ़ों से रक्तस्त्राव होना बंद हो जाता है |

    नेत्रज्योति पालक का रस पीने से बढती है |

    पथरी :- कई लोग यह मानते है की पालक खाने से पथरी होती है, लेकिन यह निश्चित समझ ले की कच्चे पालक के रस के सेवन करने सा कदापि पथरी नहीं होती |
    पालक में ऑक्जेलिक अम्ल पाया जाता है जो पानी में घुल जाता है | पालक में कैल्सियम और फोस्फोरस होता है जो मिलकर कैल्सियम फोस्फेट बनाता है जो पानी में घुलता नहीं है जिससे पथरी बन जाती है | इसलिए पथरी के रोगियों को केवल पालक की सब्जी नहीं खाना चाहिए | पालक और हरी पते वाली मेथी मिलाकर साग बनाकर खाने से पथरी नहीं बनती है |
    अतः पालक खाएं और शरीर में ख़ून बढ़ाएं .

    और इसी विषय पर यह लेख भी देखें:

    पालक खाने वाला व्यक्ति बीमार नहीं पड़ता

    हरी सब्जियों की जब भी बात आती है तो सबसे पहले पालक का नाम आता है। जिसे लोग रामबाण कहते हैं। लोग कहते हैं कि पालक खाने वाला व्यक्ति को कभी भी डॉक्टर के पास नहीं जाता, कहने का तात्पर्य ये है कि पालक खाने वाला कभी बीमार नहीं पड़ता है। डॉक्टरों के मुताबिक पालक में शरीर के लिए आवश्यक अनेक अमीनो अम्ल, विटामिन ए, फोलिक अम्ल, प्रोटीन और लौह तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। पालक में बीटा केरोटिन नामक विटामिन की भरमार रहती है।

    जो आंखो के लिए काफी अच्छी होती है। पालक में लोहे का अंश भी बहुत अधिक रहता है, पालक में मौजूद लोहा शरीर द्वारा आसानी से सोख लिया जाता है। इसलिए पालक खाने से खून के लाल कणों की संख्या बढ़ती है। इन लाल कणों में हिमोग्लोबिन नामक तत्व रहता है जो लोहे से बनता है। खून की कमी से पीड़ित व्यक्तियों को पालक खाने से काफी फायदा पहुंचता है। गर्भवती स्त्रियों में फोलिक अम्ल की कमी पाई जाती है। उनके लिए भी पालक का सेवन लाभदायक होता है। पालक में कैल्शियम भी बहुत अधिक रहता है। इसलिए बढ़ते बच्चों, बूढ़े व्यक्तियों और गर्भवती स्त्रियों के लिए वह बहुत फायदेमंद है। पालक खाने से स्तनपान करानेवाली माताओं के स्तनों में अधिक दूध बनता है।

    यही नहीं पालक त्वचा और शरीर के लिए भी बहत अच्छा होता है। जो लोग बाल गिरने से परेशान हैं उन्हें तो रोज पालक खाना चाहिए। जो शरीर में आयरन की कमी को पूरा करके बालों का गिरना रोकता है। पालक त्वचा को रूखे होने से बचाता है। पालक आखों में चमक उत्पन्न करता है। पालक के पेस्ट को चेहरे पर लगाने से चेहरे से झाइयां दूर हो जाती है। इसलिए महंगी-महंगी दवाइयां खाने से अच्छा है कि आप पालक खाइये जिससे दवाइयां खाने की नौबत ही ना आये।

    Wednesday, February 1, 2012

    स्वस्थ और ख़ुशहाल ज़िंदगी के लिए चुनें सही नाश्ता Egg and Fish

    अमेरिका में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि सुबह के नाश्ते में अंडा खाने से दिन भर भूख का अहसास कम होता हैं इससे व्यक्ति कम कैलोरी की खपत करता है और वज़न नियंत्रित रहता है। अंडे में एक ऐसा प्रोटीन पाया जाता है, जो भूख पर क़ाबू रखने वाले हार्मोन का उत्पादन करता है। इसके साथ ब्राउन ब्रेड खाने से ऊर्जा मिलती है। ग्रीन टी वसा जलाने में मदद करती है।
    किपर मछली में ओमेगा 3 फैटी एसिड पाए जाते हैं, जो हार्ट अटैक का ख़तरा कम करते हैं। हफ़्ते में एक बार इनके सेवन से रक्त संचार सुचारू होता है और ख़ून का थक्का जमने की आशंका घटती है। किपर मछली से ज़्यादा फ़ायदा पाने के लिए इसके साथ भुने हुए टमाटर खाएं। ब्राउन ब्रेड और लो फ़ैट मक्खन का सेवन भी कर सकते हैं। ध्यान रखें कि किपर का ज़्यादा सेवन रक्तचाप बढ़ाता है
    Source : Hintustan Hindi news paper